LYRIC
तेरी महफ़िल में आके हे मनमोहन,
अपना तन मन मैं तुझपे लुटा बैठी,
अब तो चरणों से अपने लगा लो मुझे,
मैं तो नैनो में कबसे बसा बैठी,
तेरी मेहफ़िल में आके हे मनमोहन,
अपना तन मन मैं तुझपे लुटा बैठी।।
जबसे देखा तुझे कुछ भी भाता नहीं,
एक तेरे सिवा कुछ सुहाता नहीं,
अब तलक तो ये जग से लगी दिल्लगी,
अपने दिलबर से दिल ये लगा बैठी,
तेरी मेहफ़िल में आके हे मनमोहन,
अपना तन मन मैं तुझपे लुटा बैठी।।
अपना माना तुझे छोड़ जाना नहीं,
तेरे बिन एक पल भी बिताना नहीं,
मेरी साँसों में बस एक तेरा नाम है,
अपनी धड़कन में तुझको रमा बैठी,
तेरी मेहफ़िल में आके हे मनमोहन,
अपना तन मन मैं तुझपे लुटा बैठी।।
साथ तेरा मिला कुछ रही ना कमी,
मेरे दिन रात रहती होंठो पे हंसी,
ऐ ‘रघुवीर’ गम से घिरी ज़िन्दगी,
मैंने श्यामा भजन से सजा बैठी,
तेरी मेहफ़िल में आके हे मनमोहन,
अपना तन मन मैं तुझपे लुटा बैठी।।
तेरी महफ़िल में आके हे मनमोहन,
अपना तन मन मैं तुझपे लुटा बैठी,
अब तो चरणों से अपने लगा लो मुझे,
मैं तो नैनो में कबसे बसा बैठी,
तेरी मेहफ़िल में आके हे मनमोहन,
अपना तन मन मैं तुझपे लुटा बैठी।।
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