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Welcome to LyricsFizz.com. Here you will find Brihaspati Dev Ki Aarti Lyrics in English and Hindi. Worshiping Lord Brihaspati and Vishnu – Thursday is also understood as Vrihaspativar, Brihaspativar, or Guruvar as it is devoted to Lord Vishnu and Lord Brihaspati, the Guru of all Devas. People keep a fast on Thursday with the thought that they would be blessed with pleasure, success, and wealth. Yellow is the most bright color for Thursday. Hence, people observing Guruvar Vrat wear yellow-colored dresses and eat yellow-colored meals that are made of Aata (Besan flour) and Channa Dal. In the Hindu faith, Vishnu has a complexion of water clouds with a blue dye. In his four hands, he holds Shankha, Chakra, Gada, and Padma. Lord Vishnu’s mount is Gadur or Garur an eagle and his consort is Mahalakshmi. In some parts of India, people idolize the banana plant and hence abstain from consuming bananas on Thursday. Several local myths narrate the importance of honoring Guruvar Vrat. The stories differ from one region to another. However, it is generally believed that Lord Vishnu emerged before his devotee disguised as a Sadhu and sought alms on a Thursday. The devotee originally refused to give alms to the Sadhu. After realizing his mistake, the devotee kept a fast on Thursday and appeased Lord Vishnu. Some people consider that it was Lord Brihaspati who appeared as a Sadhu. Therefore, devotees chant aarti in the devotion of Lord Brihaspati.

Brihaspati Dev Ki Aarti

Brihaspati Aarti Lyrics In English:
Om Jai Brihaspati Deva,
Swami Jai Brihaspati Deva,
Chhin Chhin Bhog Laga‌un,
Kadli Phal Meva,
Om Jai Brihaspati Deva.

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Tum Purn Paramatma, Tum Antaryami,
Swami Tum Antaryami,
Jagatpita Jagadishvar,
Tum Sabake Swami,
Om Jai Brihaspati Deva.

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Charanamrit Nij Nirmal,
Sab Patak Harta,
Swami Sab Patak Harta,
Sakal Manorath Dayak,
Kripa Karo Bharta,
Om Jai Brihaspati Deva.

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Tan, Man, Dhan Arpan Kar,
Jo Jan Sharan Pade,
Swami Jo Jan Sharan Pade,
Prabhu Prakat Tab Hokar,
Aakar Dwar Khade,
Om Jai Brihaspati Deva.

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Deendayal Dayanidhi,
Bhaktan Hitakari,
Swami Bhaktan Hitakari,
Paap Dosh Sab Harta,
Bhav Bandhan Hari,
Om Jai Brihaspati Deva.

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Sakal Manorath Dayak,
Sab Sanshay Haro,
Swami Sab Sanshay Haro,
Vishay Vikar Mita‌o,
Santan Sukhakari,

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Jo Koi Aarti Teri,
Prem Sahit Gave,
Swami Prem Sahit Gave,
Jesthanand Aanandakar,
So Nishchay Pave,
Om Jai Brihaspati Deva.

🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵

Om Jai Brihaspati Deva,
Swami Jai Brihaspati Deva,
Chhin Chhin Bhog Laga‌un,
Kadli Phal Meva,
Om Jai Brihaspati Deva.

🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵

Sab Bolo Vishnu Bhagwan Ki Jai,
Bolo Brihaspati Bhagwan Ki Jai.

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Translated Version

भगवान बृहस्पति और विष्णु की पूजा – गुरुवार को बृहस्पतिवार, बृहस्पति या गुरुवर के रूप में भी समझा जाता है क्योंकि यह भगवान विष्णु और सभी देवताओं के गुरु भगवान बृहस्पति को समर्पित है। लोग गुरुवार का व्रत इस सोच के साथ रखते हैं कि उन्हें सुख, सफलता और धन की प्राप्ति होगी। गुरुवार के लिए पीला सबसे चमकीला रंग है। इसलिए, गुरुवर व्रत का पालन करने वाले लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और पीले रंग का भोजन करते हैं जो आटे (बेसन के आटे) और चना दाल से बने होते हैं। हिंदू धर्म में, विष्णु के पास नीले रंग के साथ पानी के बादलों का एक रंग है। उनके चार हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म हैं। भगवान विष्णु का पर्वत गदुर या गरुड़ एक चील है और उनकी पत्नी महालक्ष्मी हैं। भारत के कुछ हिस्सों में, लोग केले के पौधे की पूजा करते हैं और इसलिए गुरुवार को केले का सेवन करने से परहेज करते हैं। कई स्थानीय मिथक गुरुवर व्रत के सम्मान के महत्व को बताते हैं। कहानियाँ एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होती हैं। हालांकि, आमतौर पर यह माना जाता है कि भगवान विष्णु एक साधु के रूप में अपने भक्त के सामने प्रकट हुए और गुरुवार को भिक्षा मांगी। भक्त ने मूल रूप से साधु को भिक्षा देने से इनकार कर दिया। अपनी गलती का एहसास होने पर भक्त ने गुरुवार का व्रत रखा और भगवान विष्णु को प्रसन्न किया। कुछ लोग मानते हैं कि यह भगवान बृहस्पति थे जो साधु के रूप में प्रकट हुए थे। इसलिए भक्त भगवान बृहस्पति की भक्ति में आरती करते हैं।


Brihaspati Dev Ki Aarti Lyrics



बृहस्पति देव की आरती लिरिक्स हिंदी में:


ॐ जय बृहस्पति देवा,
स्वामी जय बृहस्पति देवा,
छिन छिन भोग लगा‌ऊँ,
कदली फल मेवा,
ॐ जय बृहस्पति देवा ।


🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵


तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी,
जगतपिता जगदीश्वर,
तुम सबके स्वामी,
ॐ जय बृहस्पति देवा ।


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चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता,
स्वामी सब पातक हर्ता,
सकल मनोरथ दायक,
कृपा करो भर्ता,
ॐ जय बृहस्पति देवा ।


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तन, मन, धन अर्पण कर,
जो जन शरण पड़े,
स्वामी जो जन शरण पड़े,
प्रभु प्रकट तब होकर,
आकर द्वार खड़े,
ॐ जय बृहस्पति देवा ।


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दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी,
स्वामी भक्तन हितकारी,
पाप दोष सब हर्ता,
भव बंधन हारी,
ॐ जय बृहस्पति देवा ।


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सकल मनोरथ दायक,
सब संशय हारो,
स्वामी सब संशय हारो,
विषय विकार मिटा‌ओ,
संतन सुखकारी,
ॐ जय बृहस्पति देवा ।


🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵


जो को‌ई आरती तेरी,
प्रेम सहित गावे,
स्वामी प्रेम सहित गावे,
जेष्ठानन्द आनन्दकर,
सो निश्चय पावे,
ॐ जय बृहस्पति देवा ।


🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵


ॐ जय बृहस्पति देवा,
स्वामी जय बृहस्पति देवा,
छिन छिन भोग लगा‌ऊँ,
कदली फल मेवा,
ॐ जय बृहस्पति देवा ।


🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵


सब बोलो विष्णु भगवान की जय,
बोलो बृहस्पति देव भगवान की जय ।


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Song Credits & Copyright Details:
Singer - Tara Devi
Music - Amit Singh
Lyrics - Traditional
Label: Ambey Bhakti
Parent Label(Publisher) - Shubham Audio Video Private Limited


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