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Sai Baba

साईं बाबा का असली नाम अज्ञात है। साईं नाम उन्हें महलसापति ने दिया था जब वे पश्चिम भारतीय राज्य महाराष्ट्र के एक शहर शिरडी पहुंचे। साई शब्द एक धार्मिक भिक्षु को संदर्भित करता है, लेकिन इसका अर्थ भगवान भी हो सकता है। अधिकांश खातों में उनके जन्म का हिंदू ब्राह्मण के रूप में और बाद में एक सूफी फकीर, या भिक्षु द्वारा गोद लेने का उल्लेख है। बाद में जीवन में उन्होंने दावा किया कि उनके पास एक हिंदू गुरु था। साईं बाबा पश्चिमी भारतीय राज्य महाराष्ट्र में लगभग 1858 में शिरडी पहुंचे और 1918 में अपनी मृत्यु तक वहीं रहे। उन्हें आत्म-साक्षात्कार के उपदेशक के रूप में जाना जाता है, इसलिए उनके उपासक ईमानदारी, शांति और क्षमा के मार्ग का अनुसरण करते हैं। उन्हें प्रसन्न करना आसान है और लोग नियमित रूप से दीपक, अगरबत्ती जलाते हैं और उन्हें फल और मिठाई देते हैं। लेकिन विशेष रूप से गुरुवार को साईं बाबा की पूजा के लिए सबसे अच्छा दिन कहा जाता है।

  1. Om Sai Namo Namaha
  2. Hey Sai Raam Hare Krishna Radhe Shyam
  3. Jai Jai Sai Teri Mahima Ati Sukhdayi
  4. Sai Chalisa
  5. Sai Baba Aarti
  6. Aarti Utaru Mere Satguru Sai
  7. Aarti Shri Sai Guruvar Ki
  8. Tu Guru Tu Pita Tu Mata
  9. Hey Shirdi Ke Sai Ram Parampita
  10. Sai Ram Sai Shyam Sai Bhagwan

1. Om Sai Namo Namaha ॐ सांईं नमो नमः

ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः
ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः
ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः
ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः

ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः
ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः

ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः
ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः

ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः
ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः

ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः
ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः

ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः
ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः

ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः
ॐ सांईं नमो नमः श्री सांईं नमो नमः
जय जय सांईं नमो नमः सतगुरु सांईं नमो नमः

2. Hey Sai Ram Hare Krishna Radhe Shyam हे साईं राम हरे कृष्ण राधे श्याम

हे साईं राम वह साईं राम, हे साईं राम हे साईं राम

हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

चारो धाम मे एक ही नाम , हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम, हर हरे कृष्ण, राधे राधे श्याम

तेरी भक्ति पे है अभिमान , हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

तीनो लोक में तेरी शान, हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

तेरे चरणों में सब है सामान , हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

सब के बनये तू बिगड़े काम, हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

होंटो पे नाम हैं सुबह और शाम, हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

राम और श्याम तेरे ही नाम , हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

जग को दीया तुन सही पैगाम, हर इंसा का एक मकाम

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

जग को दीया तुन सही पैगाम, हे साईं राम, हे साईं राम

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

भक्तो की भक्ति मेरे तुम हो महान, हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

चारो धाम मे एक ही नाम , हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम, हर हरे कृष्ण, राधे राधे श्याम

तेरी भक्ति पे है अभिमान , हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

तीनो लोक में तेरी शान, हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

तेरे चरणों में सब हैं सामान।, हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

होंटो पे नाम हैं सुबह और शाम, हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

राम और श्याम तेरे ही नाम , हे साईं राम, हे साईं राम,

जग को दीया तुन सही पैगाम, हर इंसा का एक मकाम

हे साईं राम, हे साईं राम, हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

हे साईं राम, हे साईं राम,

हे साईं राम, हे साईं राम,

हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

हे साईं राम, हे साईं राम,

हरे हरे कृष्ण राधे राधे श्याम

3. Jai Jai Sai Teri Mahima Ati Sukhdayi जय जय साईं जय जय साईं तेरी महिमा अति सुखदाई

जय जय साईं जय जय साईं
तेरी महिमा अति सुखदाई

मात पिता तुम तुम गुरु साईं
तुम करुणा के सागर साईं

मात पिता तुम तुम गुरु साईं
तुम करुणा के सागर साईं

जय जय साईं जय जय साईं
तेरी महिमा अति सुखदाई

तुमि ब्रह्म तुम्ही विष्णु
तुम्हारी साईं हो शिव शंकर
तुम्ही गजानन तुम विघ्नेश्वर
तुम्हारी साईं दाता दिगंबर
तुम्ही समर्थ स्वामी साईं

जय जय साईं जय जय साईं
तेरी महिमा अति सुख दया

राम तुमही हो श्याम तुमही हो
साईं चारो धाम तुम्हारी हो
काशी मथुरा काबा तुझ में
सब है साईं बाबा तुझ में
तेरी लीला न्यारी साईं

जय जय साईं जय जय साईं
तेरी महिमा अति सुखदाई

निस दिन तेरा ध्यान लगाओ
हर पल साईं गौ
जब तक तन में प्राण हो बाकी
दिख ते रहे बस तेरी झाकी
इतनी दया रखना मेरा साईं

जय जय साईं जय जय साईं
तेरी महिमा अति सुखदाई

दुख हो चाहे सुख जीवन में
बीते समय बस तेरे भजन में
क्या है मेरा सब है तेरा
तन मन धन जीवन तेरा
बड़ीदी सभी की तुम ने बनायी

जय जय साईं जय जय साईं
तेरी महिमा अति सुखदाई

तुमसे बड़ा ना कोई दाता
तुम हो सब के भाग्य विधाता
दार पे तुम्हारे जो भी आटा

बिन मांगे वो सब सुख पाता
सब की तूने आस पुराई

जय जय साईं जय जय साईं
तेरी महिमा अति सुखदाई

4. Sai Chalisa साईं चालीसा

श्री साँई के चरणों में, अपना शीश नवाऊं मैं
कैसे शिरडी साँई आए, सारा हाल सुनाऊ मैं
कौन है माता, पिता कौन है, यह न किसी ने भी जाना।
कहां जन्म साँई ने धारा, प्रश्न पहेली रहा बना
कोई कहे अयोध्या के, ये रामचन्द्र भगवान हैं।

कोई कहता साँई बाबा, पवन-पुत्र हनुमान हैं
कोई कहता मंगल मूर्ति, श्री गजानन हैं साँई।
कोई कहता गोकुल-मोहन, देवकी नन्द्न हैं साँई
शंकर समझ भक्त कई तो, बाबा को भजते रहते।

कोई कह अवतार दत्त का, पूजा साँई की करते
कुछ भी मानो उनको तुम, पर साँई हैं सच्चे भगवान।
बड़े दयालु, दीनबन्धु, कितनों को दिया जीवनदान
कई बरस पहले की घटना, तुम्हें सुनाऊंगा मैं बात।

किसी भाग्यशाली की शिरडी में, आई थी बारात
आया साथ उसी के था, बालक एक बहुत सुनदर।
आया, आकर वहीं बद गया, पावन शिरडी किया नगर
कई दिनों तक रहा भटकता, भिक्षा मांगी उसने दर-दर।

और दिखाई ऎसी लीला, जग में जो हो गई अमर
जैसे-जैसे उमर बढ़ी, बढ़ती ही वैसे गई शान।
घर-घर होने लगा नगर में, साँई बाबा का गुणगान
दिगदिगन्त में लगा गूंजने, फिर तो साँई जी का नाम।

दीन मुखी की रक्षा करना, यही रहा बाबा का काम
बाबा के चरणों जाकर, जो कहता मैं हूं निर्धन।
दया उसी पर होती उनकी, खुल जाते द:ख के बंधन
कभी किसी ने मांगी भिक्षा, दो बाबा मुझ को संतान।

एवं अस्तु तब कहकर साँई, देते थे उसको वरदान
स्वयं दु:खी बाबा हो जाते, दीन-दुखी जन का लख हाल।
अंत:करन भी साँई का, सागर जैसा रहा विशाल
भक्त एक मद्रासी आया, घर का बहुत बड़ा धनवान।

माल खजाना बेहद उसका, केवल नहीं रही संतान
लगा मनाने साँईनाथ को, बाबा मुझ पर दया करो।
झंझा से झंकृत नैया को, तुम ही मेरी पार करो
कुलदीपक के अभाव में, व्यर्थ है दौलत की माया।

आज भिखारी बनकर बाबा, शरण तुम्हारी मैं आया
दे दे मुझको पुत्र दान, मैं ऋणी रहूंगा जीवन भर।
और किसी की आश न मुझको, सिर्फ भरोसा है तुम पर
अनुनय-विनय बहुत की उसने, चरणों में धर के शीश।

तब प्रसन्न होकर बाबा ने, दिया भक्त को यह आशीष
अल्ला भला करेगा तेरा, पुत्र जन्म हो तेरे घर।
कृपा रहे तुम पर उसकी, और तेरे उस बालक पर
अब तक नहीं किसी ने पाया, साँई की कृपा का पार।

पुत्र रतन दे मद्रासी को, धन्य किया उसका संसार
तन-मन से जो भजे उसी का, जग में होता है उद्धार।
सांच को आंच नहीं है कोई, सदा झूठ की होती हार
मैं हूं सदा सहारे उसके, सदा रहूंगा उसका दास।

साँई जैसा प्रभु मिला है, इतनी की कम है क्या आद
मेरा भी दिन था इक ऎसा, मिलती नहीं मुझे थी रोटी।
तन पर कपड़ा दूर रहा था, शेष रही नन्ही सी लंगोटी
सरिता सन्मुख होने पर भी, मैं प्यासा का प्यासा था।

दुर्दिन मेरा मेरे ऊपर, दावाग्नि बरसाता था
धरती के अतिरिक्त जगत में, मेरा कुछ अवलम्ब न था।
बिना भिखारी में दुनिया में, दर-दर ठोकर खाता था
ऐसे में इक मित्र मिला जो, परम भक्त साँई का था।

जंजालों से मुक्त, मगर इस, जगती में वह मुझसा था
बाबा के दर्शन के खातिर, मिल दोनों ने किया विचार।
साँई जैसे दयामूर्ति के दर्शन को हो गए तैयार
पावन शिरडी नगर में जाकर, देखी मतवाली मूर्ति।

धन्य जन्म हो गया कि हमने, दु:ख सारा काफूर हो गया।
संकट सारे मिटे और विपदाओं का अंत हो गया
मान और सम्मान मिला, भिक्षा में हमको बाबा से।
प्रतिबिंबित हो उठे जगत में, हम साँई की आभा से
बाबा ने सम्मान दिया है, मान दिया इस जीवन में।

इसका ही सम्बल ले, मैं हंसता जाऊंगा जीवन में
साँई की लीला का मेरे, मन पर ऎसा असर हुआ
”काशीराम” बाबा का भक्त, इस शिरडी में रहता था।
मैं साँई का साँई मेरा, वह दुनिया से कहता था
सींकर स्वयं वस्त्र बेचता, ग्राम नगर बाजारों में।

झंकृत उसकी हृदतंत्री थी, साँई की झनकारों में
स्तब्ध निशा थी, थे सोये, रजनी आंचल में चांद सितारे।
नहीं सूझता रहा हाथ, को हाथ तिमिर के मारे
वस्त्र बेचकर लौट रहा था, हाय! हाट से काशी।

विचित्र बड़ा संयोग कि उस दिन, आता था वह एकाकी
घेर राह में खड़े हो गए, उसे कुटिल अन्यायी।
मारो काटो लूटो इसको, ही ध्वनि पड़ी सुनाई
लूट पीटकर उसे वहां से, कुटिल गये चम्पत हो।
आघातों से मर्माहत हो, उसने दी थी संज्ञा खो |
जाने कब कुछ होश हो उठा, वहीं उसकी पलक में॥
अनजाने ही उसके मुंह से, निकल पड़ा था साईं।
जिसकी प्रतिध्वनि शिरडी में, बाबा को पड़ी सुनाई॥

क्षुब्ध हो उठा मानस उनका, बाबा गए विकल हो।
लगता जैसे घटना सारी, घटी उन्हीं के सन्मुख हो॥
उन्मादी से इधर-उधर तब, बाबा लेगे भटकने।
सन्मुख चीजें जो भी आई, उनको लगने पटकने॥

और धधकते अंगारों में, बाबा ने अपना कर डाला।
हुए सशंकित सभी वहां, लख तांडवनृत्य निराला॥
समझ गए सब लोग, कि कोई भक्त पड़ा संकट में।
क्षुभित खड़े थे सभी वहां, पर पड़े हुए विस्मय में॥

उसे बचाने की ही खातिर, बाबा आज विकल है।
उसकी ही पीड़ा से पीड़‍ित, उनकी अंत:स्थल है॥
इतने में ही विविध ने अपनी, विचित्रता दिखलाई।
लख कर जिसको जनता की, श्रद्धा सरिता लहराई॥

लेकर संज्ञाहीन भक्त को, गाड़ी एक वहां आई।
सन्मुख अपने देख भक्त को, साईं की आंखें भर आई॥
शांत, धीर, गंभीर, सिंधु-सा, बाबा का अंत:स्थल।
आज न जाने क्यों रह-रहकर, हो जाता था चंचल॥

आज दया की मूर्ति स्वयं था, बना हुआ उपचारी।
और भक्त के लिए आज था, देव बना प्रतिहारी॥
आज भक्त की विषम परीक्षा में, सफल हुआ था काशी।
उसके ही दर्शन की खातिर थे, उमड़े नगर-निवासी।

जब भी और जहां भी कोई, भक्त पड़े संकट में।
उसकी रक्षा करने बाबा, आते हैं पलभर में॥
युग-युग का है सत्य यह, नहीं कोई नई कहानी।
आपद्‍ग्रस्त भक्त जब होता, जाते खुद अंर्तयामी॥

भेदभाव से परे पुजारी, मानवता के थे साईं।
जितने प्यारे हिन्दू-मुस्लिम, उतने ही थे सिक्ख ईसाई॥
भेद-भाव मंदिर-मिस्जद का, तोड़-फोड़ बाबा ने डाला।
राह रहीम सभी उनके थे, कृष्ण करीम अल्लाताला॥

घंटे की प्रतिध्वनि से गूंजा, मस्जिद का कोना-कोना।
मिले परस्पर हिन्दू-मुस्लिम, प्यार बढ़ा दिन-दिन दूना॥
चमत्कार था कितना सुंदर, परिचय इस काया ने दी।
और नीम कडुवाहट में भी, मिठास बाबा ने भर दी॥

सब को स्नेह दिया साईं ने, सबको संतुल प्यार किया।
जो कुछ जिसने भी चाहा, बाबा ने उसको वही दिया॥
ऐसे स्नेहशील भाजन का, नाम सदा जो जपा करे।
पर्वत जैसा दुख न क्यों हो, पलभर में वह दूर टरे॥

साईं जैसा दाता हमने, अरे नहीं देखा कोई।
जिसके केवल दर्शन से ही, सारी विपदा दूर गई॥
तन में साईं, मन में साईं, साईं-साईं भजा करो।
अपने तन की सुधि-बुधि खोकर, सुधि उसकी तुम किया करो॥

जब तू अपनी सुधि तज, बाबा की सुधि किया करेगा।
और रात-दिन बाबा-बाबा, ही तू रटा करेगा॥
तो बाबा को अरे! विवश हो, सुधि तेरी लेनी ही होगी।
तेरी हर इच्छा बाबा को पूरी ही करनी होगी॥

जंगल, जंगल भटक न पागल, और ढूंढ़ने बाबा को।
एक जगह केवल शिरडी में, तू पाएगा बाबा को॥
धन्य जगत में प्राणी है वह, जिसने बाबा को पाया।
दुख में, सुख में प्रहर आठ हो, साईं का ही गुण गाया॥

गिरे संकटों के पर्वत, चाहे बिजली ही टूट पड़े।
साईं का ले नाम सदा तुम, सन्मुख सबके रहो अड़े॥
इस बूढ़े की सुन करामत, तुम हो जाओगे हैरान।
दंग रह गए सुनकर जिसको, जाने कितने चतुर सुजान॥

एक बार शिरडी में साधु, ढ़ोंगी था कोई आया।
भोली-भाली नगर-निवासी, जनता को था भरमाया॥
जड़ी-बूटियां उन्हें दिखाकर, करने लगा वह भाषण।
कहने लगा सुनो श्रोतागण, घर मेरा है वृन्दावन॥

औषधि मेरे पास एक है, और अजब इसमें शक्ति।
इसके सेवन करने से ही, हो जाती दुख से मुक्ति॥
अगर मुक्त होना चाहो, तुम संकट से बीमारी से।
तो है मेरा नम्र निवेदन, हर नर से, हर नारी से॥

लो खरीद तुम इसको, इसकी सेवन विधियां हैं न्यारी।
यद्यपि तुच्छ वस्तु है यह, गुण उसके हैं अति भारी॥
जो है संतति हीन यहां यदि, मेरी औषधि को खाए।
पुत्र-रत्न हो प्राप्त, अरे वह मुंह मांगा फल पाए॥

औषधि मेरी जो न खरीदे, जीवन भर पछताएगा।
मुझ जैसा प्राणी शायद ही, अरे यहां आ पाएगा॥
दुनिया दो दिनों का मेला है, मौज शौक तुम भी कर लो।
अगर इससे मिलता है, सब कुछ, तुम भी इसको ले लो॥

हैरानी बढ़ती जनता की, देख इसकी कारस्तानी।
प्रमुदित वह भी मन ही मन था, देख लोगों की नादानी॥
खबर सुनाने बाबा को यह, गया दौड़कर सेवक एक।
सुनकर भृकुटी तनी और, विस्मरण हो गया सभी विवेक॥

हुक्म दिया सेवक को, सत्वर पकड़ दुष्ट को लाओ।
या शिरडी की सीमा से, कपटी को दूर भगाओ॥
मेरे रहते भोली-भाली, शिरडी की जनता को।
कौन नीच ऐसा जो, साहस करता है छलने को॥

पलभर में ऐसे ढोंगी, कपटी नीच लुटेरे को।
महानाश के महागर्त में पहुंचा, दूं जीवन भर को॥
तनिक मिला आभास मदारी, क्रूर, कुटिल अन्यायी को।
काल नाचता है अब सिर पर, गुस्सा आया साईं को॥

पलभर में सब खेल बंद कर, भागा सिर पर रखकर पैर।
सोच रहा था मन ही मन, भगवान नहीं है अब खैर॥
सच है साईं जैसा दानी, मिल न सकेगा जग में।
अंश ईश का साईं बाबा, उन्हें न कुछ भी मुश्किल जग में॥

स्नेह, शील, सौजन्य आदि का, आभूषण धारण कर।
बढ़ता इस दुनिया में जो भी, मानव सेवा के पथ पर॥
वही जीत लेता है जगत के, जन जन का अंत:स्थल।
उसकी एक उदासी ही, जग को कर देती है विहल॥

जब-जब जग में भार पाप का, बढ़-बढ़ ही जाता है।
उसे मिटाने की ही खातिर, अवतारी ही आता है॥
पाप और अन्याय सभी कुछ, इस जगती का हर के।
दूर भगा देता दुनिया के, दानव को क्षण भर के॥

ऐसे ही अवतारी साईं, मृत्युलोक में आकर।
समता का यह पाठ पढ़ाया, सबको अपना आप मिटाकर॥
नाम द्वारका मस्जिद का, रखा शिरडी में साईं ने।
दाप, ताप, संताप मिटाया, जो कुछ आया साईं ने॥

सदा याद में मस्त राम की, बैठे रहते थे साईं।
पहर आठ ही राम नाम को, भजते रहते थे साईं॥
सूखी-रूखी ताजी बासी, चाहे या होवे पकवान।
सौदा प्यार के भूखे साईं की, खातिर थे सभी समान॥

स्नेह और श्रद्धा से अपनी, जन जो कुछ दे जाते थे।
बड़े चाव से उस भोजन को, बाबा पावन करते थे॥
कभी-कभी मन बहलाने को, बाबा बाग में जाते थे।
प्रमुदित मन में निरख प्रकृति, आनंदित वे हो जाते थे॥

रंग-बिरंगे पुष्प बाग के, मंद-मंद हिल-डुल करके।
बीहड़ वीराने मन में भी स्नेह सलिल भर जाते थे॥
ऐसी सुमधुर बेला में भी, दुख आपात, विपदा के मारे।
अपने मन की व्यथा सुनाने, जन रहते बाबा को घेरे॥

सुनकर जिनकी करूणकथा को, नयन कमल भर आते थे।
दे विभूति हर व्यथा, शांति, उनके उर में भर देते थे॥
जाने क्या अद्भुत शक्ति, उस विभूति में होती थी।
जो धारण करते मस्तक पर, दुख सारा हर लेती थी॥

धन्य मनुज वे साक्षात् दर्शन, जो बाबा साईं के पाए।
धन्य कमल कर उनके जिनसे, चरण-कमल वे परसाए॥
काश निर्भय तुमको भी, साक्षात् साईं मिल जाता।
वर्षों से उजड़ा चमन अपना, फिर से आज खिल जाता॥

गर पकड़ता मैं चरण श्री के, नहीं छोड़ता उम्रभर॥
मना लेता मैं जरूर उनको, गर रूठते साईं मुझ पर॥
।।इतिश्री साईं चालीसा समाप्त।

5. Sai Baba Aarti साई बाबा आरती

आरती श्री साई गुरुवर की परमानन्द सदा सुरवर की
जाके कृपा विपुल सुख कारी दुःख शोक संकट भ्ररहारी
आरती श्री साई गुरुवर की..

शिर्डी में अवतार रचाया चमत्कार से तत्व दिखाया
कितने भक्त शरण में आए वे सुख़ शांति निरंतर पाए
आरती श्री साई गुरुवार की…

भाव धरे जो मन मैं जैसा साई का अनुभव हो वैसा
गुरु को उदी लगावे तन को समाधान लाभत उस तन को
आरती श्री साई गुरुवर की…

साईं नाम सदा जो गावे सो फल जग में साश्वत पावे
गुरुवार सदा करे पूजा सेवा उस पर कृपा करत गुरु देवा
आरती श्री साई गुरुवर की ….

राम कृष्ण हनुमान रूप में दे दर्शन जानत जो मन में
विविध धरम के सेवक आते दर्शनकर इचित फल पाते
आरती श्री साई गुरुवर की….

जय बोलो साई बाबा की ,जय बोलो अवधूत गुरु की
साई की आरती जो कोई गावे घर में बसी सुख़ मंगल पावे
आरती श्री साई गुरुवर की…

अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक राजा धिराज योगी राज ,जय जय जय साई बाबा की
आरती श्री साई गुरुवर की परमानंद सुरवर

6. Aarti Utaru Mere Satguru Sai आरती उतारू मेरे सतगुरु साईं

आरती उतारू मेरे सतगुरु साईं
मेरे बाबा साईं
पंच तत्त्व का दीप
पंच तत्त्व का दीप जलाऊँ
जगमग ज्योत सुहाई

(आरती उतारू मेरे सतगुरु साईं
मेरे बाबा साईं
पंच तत्त्व का दीप
पंच तत्त्व का दीप जलाऊँ
जगमग ज्योत सुहाई)

निर्गुण मूरत शगुन बन गई
साईं सुखकारी
बाबा साईं सुखकारी
घट घट अन्दर साईं
विराजे साईं सब संचारी

(आरती उतारू मेरे सतगुरु साईं
मेरे बाबा साईं
पंच तत्त्व का दीप
पंच तत्त्व का दीप जलाऊँ
जगमग ज्योत सुहाई)

ॐ नमो साईं नाथा
ॐ नमो साईं नाथा
ॐ नमो साईं नाथा
ॐ नमो साईं नाथा

रज तम सत्वा
तीनो माया से निकले
बाबा माया से निकले

(रज तम सत्वा
तीनो माया से निकले
बाबा माया से निकले)

माया के अन्दर
ही माया जान खेल खेले
(माया के अन्दर
ही माया जन खेल खेले)

आरती उतारूँ मेरे सतगुरु साईं
मेरे बाबा साईं
पंच तत्त्व का दीप
पंच तत्त्व का दीप जलाऊँ
जगमग ज्योत सुहाई

(आरती उतारूँ मेरे सतगुरु साईं
मेरे बाबा साईं
पंच तत्त्व का दीप
पंच तत्त्व का दीप जलाऊँ
जगमग ज्योत सुहाई)

ॐ नमो साईं नाथा
ॐ नमो साईं नाथा
ॐ नमो साईं नाथा
ॐ नमो साईं नाथा

सात समंदर में
ऐसा न्यारा है खेला
ऐसा न्यारा है खेला

(सात समंदर में
ऐसा न्यारा है खेला
ऐसा न्यारा है खेला)

खेल खेल में
फैल रहा है
शब्द ब्रह्म का मेला

(खेल खेल में
फैल रहा है
शब्द ब्रह्म का मेला)

ब्रह्मांड की रचना ऐसी
हमको दिखलाया
बाबा हमको दिखलाया

नाथ निरंजन साईं
नाथ निरंजन साईं
से भाव बंधन टूट गया

(आरती उतारूँ मेरे सतगुरु साईं
मेरे बाबा साईं
पंच तत्त्व का दीप
पंच तत्त्व का दीप जलाऊँ
जगमग ज्योत सुहाई)

आरती उतारूँ मेरे सतगुरु साईं
मेरे बाबा साईं
पंच तत्त्व का दीप
पंच तत्त्व का दीप जलाऊँ
जगमग ज्योत सुहाई

(आरती उतारूँ मेरे सतगुरु साईं
मेरे बाबा साईं
पंच तत्त्व का दीप
पंच तत्त्व का दीप जलाऊँ
जगमग ज्योत सुहाई)

7. Aarti Shri Sai Guruvar Ki आरती श्री साई गुरुवर की

आरती श्री साई गुरुवर की,
परमानंद सदा सुरवर की ।

जाकी कृपा विपुल सुखकारी,
दु:ख शोक संकट भयहारी,
शिरडी में अवतार रचाया,
चमत्कार से जग हर्षाया,
आरती श्री साई गुरुवर की,
परमानंद सदा सुरवर की ।

कितने भक्त शरण में आये,
सब सुख शांति चिरंतन पाये,
भाव धरे जो मन में जैसा,
पावत अनुभव वो ही वैसा,
आरती श्री साई गुरुवर की,
परमानंद सदा सुरवर की ।

गुरु की उदी लगावे तन को,
समाधान लाभत उस मन को,
साईं नाम सदा जो गावे,
सो फल जग में शाश्वत पावे,
आरती श्री साई गुरुवर की,
परमानंद सदा सुरवर की ।

गुरुवासर करी पूजा सेवा,
उस पर कृपा करत गुरुदेवा,
राम कृष्ण हनुमान रूप में,
जानत जो श्रध्दा धर मन में,
आरती श्री साई गुरुवर की,
परमानंद सदा सुरवर की ।

विविध धर्म के सेवक आते,
दर्शन कर इच्छित फल पाते,
साईं बाबा की जय बोलो,
अंतर्मन में आनंद घोलो,
आरती श्री साई गुरुवर की,
परमानंद सदा सुरवर की ।

साईं दास आरती गावे,
बसी घर में सुख मंगल पावे,
आरती श्री साई गुरुवर की,
परमानंद सदा सुरवर की ।

आरती श्री साई गुरुवर की,
परमानंद सदा सुरवर की ।

8. Tu Guru Tu Pita Tu Mata तू गुरु पिता तू माता

तू गुरु पिता तू माता, तू सब गुण का दाता
ये है प्रार्थना हमारी, ये है प्रार्थना हमारी सो जाओ नंद प्यारी

तू गुरु पिता तू माता, तू सब गुणो का दाता

तेरे नैन ठक चुके हैं भक्तों के दर्शनों से
सब सो गए हैं जा कर, तेरे समिप आ कर,

ये है प्रार्थना हमारी, ये है प्रार्थना हमारी सो जाओ नंद प्यारी
तू गुरु पिता तू माता, तू सब गुणो का दाता

ला लाला ला लाला ला लाला ला ला (कोरस)

तेरी भक्ति रस में दुबे, सब जीवा सो गए हैं,
तेरे ही स्वप्न लेकर निन्दो मैं खो गए हैं (पैरा 2)

ये है प्रार्थना हमारी, ये है प्रार्थना हमारी सो जाओ नंद प्यारी
तू गुरु पिता तू माता, तू सब गुणो का दाता (पैरा 2)

https://youtube.com/watch?v=xik01OKYs4Q

9. Hey Shirdi Ke Sai Ram Parampita हे शिरडी के साई राम परमपिता

हे शिरडी के साई राम परमपिता …
इन शरणागतो का कर कल्याण दो …
सब मुरादों से सब खजाने भरे
हमें मनचाहा फल मेरे भगवान् दो

हे शिरडी के साई राम परमपिता …
इन शरणागतो का कर कल्याण दो …

तेरी करुणा पे हमको भरोसा बड़ा
नाम तेरा ही जपते सुबहा शाम हैं
द्वारका माई हमको स्वर्ग के जैसे लगे
चरण तेरे हमारे लिए चारो धाम हैं
तेरी दर न मुरादों की कोई कमी
हर सुख का बाबा सामान दो …

हे शिरडी के साई राम परमपिता …
इन शरणागतो का कर कल्याण दो …

तेरे चरणों को छूने से मिटटी को भी
सोना बन जाते हमने हैं देख यहाँ
तेरी रहमत की बारिश जिनपे हुई
बदली हैं उनकी किस्मत की रेखा यहाँ
तेरी महिमा का गुण गान करे हम सदा
सदगुणों का साई हमें दान दो

हे शिरडी के साई राम परमपिता …
इन शरणागतो का कर कल्याण दो …

बाबा राम भी हो तुम मेरे घनश्याम भी
तुम मेरे लिए शंकर का अवतार हो
तेरी आज्ञा से चलती हैं सिद्धिया सभी
तुम चलाते सारा ही संसार हो
हाथ न पसारे तेरे दर के सिवा
बाबा ऐसा हमें आत्मा सम्मान दो

हे शिरडी के साई राम परमपिता …
इन शरणागतो का कर कल्याण दो …

तुम दयावान हो जिनपे डाली नजर
कड़वी नीम के पत्ते भी मीठे हुए
तुमने अपनी जुबा से दुआ दी जिसे
वो लफ्ज़ कभी भी न झूठे हुए
तेरे चरणो से हो हम कभी न जुदा
इन भक्तो को साई ऐसा वरदान दो

हे शिरडी के साई राम परमपिता …
इन शरणागतो का कर कल्याण दो …

कठपुतली के जैसे हैं हम साई जी
नाचे जाते हैं जैसे नाचते हो तुम
हम खिलोनो के बस में तो कुछ भी नहीं
राह के कंकर को मोती बनाते हो तुम
जैसे औरो को मुक्ति सब दुखो से दी
कर हमारी भी मुश्किल को आसान दो

हे शिरडी के साई राम परमपिता …
इन शरणागतो का कर कल्याण दो …

तेरी धुनि की पावन विभूति प्रभु ‘
जिन भक्तो के अब तक हैं माथे लगी
उनके जन्मो के रोग हैं पल में मिटे
सोये तक़दीर हैं घडी में जगे
आंधी कष्टों की जीवन में जोर से चले
हम हैँ कमज़ोर हमको अभय दान दो

हे शिरडी के साई राम परमपिता …
इन शरणागतो का कर कल्याण दो …

उतने होंगे न तारे आकाश में
साई करिश्मे हैं जितने जो तुमने किये
कई मुर्दो को जीवन हैं तुमने दिया
तुमने पानी से भी हैं जलाये दिये
तेरे धाम आये लेकर उम्मीदे बड़ी
रोते चेहरो को साई जी मुस्कान दो

हे शिरडी के साई राम परमपिता …
इन शरणागतो का कर कल्याण दो …

इस दिल के पिटारो में क्या हैं भरा
बिना बतलाये तुम तो हो सब जानते
कौन खोटा जहा में कौन खरा
अन्तर्यामी हो तुम सब को पहचानते
मद नादान अज्ञानी इंसान हम
ज्ञान सागर हो तुम हमको भी ज्ञान दो

हे शिरडी के साई राम परमपिता …
इन शरणागतो का कर कल्याण दो …

सब कहते हैं दुखियो के उद्धार को
एक फरिस्ता हैं उतरा आकाश से
जिसके दर से सवाली न खाली गया
झोली जिसने फैलाई हैं विश्वास से

आँखे अन्धो को गूंगो को दी हैं जुबा
साई संतानहीनो को संतान दो

हे शिरडी के साई राम परमपिता …
इन शरणागतो का कर कल्याण दो …

तेरे निर्दोष दर जो झुकाया हैं सर
उसपे रखना दया का तुम हाथ साई
इस जीवन की ऊँची नीची राहो में
दीनभक्तो का देना तुम साथ साई
हमें जग में भरोसा तुम पर साई
पुरे कर तुम हमारे अरमान दो

हे शिरडी के साई राम परमपिता …
इन शरणागतो का कर कल्याण दो …
सब मुरादों से सब खजाने भरे
हमें मनचाहा फल मेरे भगवान् दो

हे शिरडी के साई राम परमपिता …
इन शरणागतो का कर कल्याण दो …

10. Sai Ram Sai Shyam Sai Bhagwan साईं राम साईं श्याम साईं भगवान

साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
करुणा के सागर दया निधान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

साईं चरण की धुल को,
माथे जो लगाओगे,
पुण्य चारों धाम का,
शिरडी में ही पाओगे,
होगा तुम्हारा वही कल्याण,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

कोई शहंशाह उनको कहे,
शिव का ही तो रूप है,
छाया हैं वो धर्म की,
कर्म की वो धुप है,
पढ़के जो आये हैं वेद पुराण,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

मानवता के साई रवि,
दया के साई चाँद हैं,
साँची प्रेम की डोर से,
रहे वो सबको बांध हैं,
मंदिर मस्जिद एक सामान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

सबको समझते वो एक सा,
राजा हो या रंक हो,
भेद और भाव के,
मिटा रहे कलंक को,
सबको समझते निज संतान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

साई के द्वार हर घड़ी,
सत्य की बरखा हो रही,
झूठे इस जहान के,
पाप काले धो रही,
करते है शंका का समाधान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

बैर रहित कशिश भरी,
साई से निर्मल प्रीत लो,
दुश्मनी जो कर रहे,
उनके दिल भी जीत लो,
सब पे चलाते प्रेम के बाण
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

साई हमें सीखा रहे,
सबका मालिक एक है,
एक सी नज़र से वो,
रहे सभी को देख है,
करते न सहते जो अभिमान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

साई के द्वार शीश धर,
दो घडी जो सो गए,
नफरतों के नाग भी,
विष रहित वह हो गए,
हर एक मुश्किल वो करते आसान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

साई के दर असर होता,
हर दिली फ़रियाद का,
बेऔलाद पा गए,
सुख वहां औलाद का,
बेजान भी वहां पा गए जान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

दूर अँधेरे कर रही,
साई भजन की रोशनी,
रोग शोक हर रही,
साई नाम संजीवनी,
श्रद्धा सबुरी का देते है दान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

साफ़ शुद्ध होती है,
जिन दिलो की भावना,
पूरी होती उनकी ही,
साई के द्वार कामना,
कष्ट मिटाते कष्ट निधान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

साई की धूलि से कभी,
तुम भभूत ले भी लो,
हर बला से लड़ने की,
दिव्य शक्ति ले भी लो,
जग में बढ़ाते भक्तों की शान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

आस्था में भीग के,
साई को जो है पुकारते,
साई खिवैया बनके ही,
उनकी नैया तारते,
मन की दशा वो लेते है जान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

चमत्कार साई बाबा ने,
जब निराले थे किये,
दिव्य अनोखे पानी से,
जल गए थे सब दिए,
पल में किया चूर था अभिमान
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

जिन क्रूर दुष्टों ने,
डर दिलो में भर दिया,
सीधे सादे संत ने,
सही मार्ग उनको दिखा दिया,
दया धरम का वो देते है ज्ञान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

साई के द्वार जो झुके,
मेल मन का साफ कर,
कसूर सबके साई ने,
माफ़ किये उनको अपनाकर,
कहता सही है सारा जहान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

दुनिया भर की नेमते,
साई जी के पास है,
मांग ले जो है मांगना,
फिर क्यों इतना उदास है,
सबको ही सुख का देंगे वरदान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

निश्चय वृक्ष को यहाँ,
फलते हमने देखा है,
खोटे सिक्को को भी तो,
चलते हमने देखा है,
श्रद्धा का देते सदा वरदान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

मीठी वाणी का सदा,
रस यहाँ मांगिये,
कीर्ति और सम्मान संग,
यश यहाँ से मांगिये,
विनती वो लेते भक्तों की मान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

साईं जो के योग का,
कुछ तो ज्ञान लीजिये,
आत्मा को सत्य की,
कुछ खुराक दीजिये,
घर बैठे पाओगे तुम भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

साईं के द्वार मिल गयी,
जिनको साची नौकरी,
साईं दया से उनकी तो,
सात पुस्ते तर गयी,
देते अलौकिक खुशियों का दान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

जिस किसी ने साईं का,
जाप दिल से कर लिए,
रहमतों से उसने ही,
अपने घर को भर लिया,
रहने न देते दुःख का निशान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

अल्ल्हा, ईशू, सतगुरु,
प्रभु के तीनो रूप हैं,
तोनो को मिला बना,
साईं का ये स्वरूप है,
पूजा जिनकी करता जहाँ,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

दूर करलो मन से तुम,
पहले ये दुर्भावना,
प्रीत अगर तुम्हारी सच्ची हो,
पूर्ण होगी कामना,
छल वल लेते पहचान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

साईं सुधा से अंत हो,
पाप और संताप का,
साईं ने सीखा दिया,
गुर हैं पश्चाताप का,
अज्ञानी को देते हैं ज्ञान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

निंदा द्वेष तज के जो,
साईं शरण में आ गए,
करुणा और सदभाव का,
आनंद वो ही पा गए,
सच्चाई पे हैं कुर्बान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

प्रेम अश्रु जो बहा,
साईं चरण को धोएगा,
उसके जीवन का जहर,
पल में अमृत होयेगा,
कांटो को करते पुष्प समान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

जिस भी देह को प्राण दे,
साईं का लाड खायेंगे,
छोड़ उसे यमराज भी,
खाली लौट जायेंगे,
पल तेरे विघ्न का भी निदान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

जहाँ चढ़े इंसान ही,
काटते इंसान की,
जरुरत है वहां बड़ी,
साईं के पावन ज्ञान की,
नेकी से रोके बदी तूफ़ान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

कहता हमको शिर्डी का,
कण कण ये पुकार के,
साईं का प्यार पाना तो,
बीज बोलो प्यार के,
प्यार का दूजा नाम भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

देख कर दुखियो को,
जिनके दिल पिघल गए,
उनको दया के रूप में,
साईं बाबा मिल गए,
सबको बुलाते वो दयावान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

धोखा जो दोगे साईं को,
खुद ही धोखा खाओगे,
लोक और परलोक में,
कहीं न बक्शे जाओगे,
मैं ही नहीं ये कहता जहाँ,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

साईं जिनको प्यारे हैं,
वो दीवाने साईं के,
उनके लिए ही खुल गए,
दिव्या खजाने साईं के,
वो नित करते यही गुणगान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

जब कहीं निर्दोष मन,
साईं को ही बुलाएँगे,
छोड़ शिर्डी पल में ही,
साईं दौड़े आयेंगे,
दुःख हर लेंगे दया के निधान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

साईं राम साईं श्याम साईं भगवान,
शिर्डी के दाता सबसे महान,
करुणा के सागर दया निधान,
शिर्डी के दाता सबसे महान ।

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