यहाँ आपको Top 10 Holi Chautal Lyrics बेहतरीन होली चौताल लिरिक्स मिलेंग। यह Top 10 Holi Chautal Lyrics होली चौताल सबसे ज्यादा लोकप्रिय तथा सबसे ज्यादा सुने जाने वाले होली चौताल है। हम उम्मीद करते हैं आपको यह Top 10 Holi Chautal Lyrics होली चौताल लिरिक्स पसंद आएंगे।

1. होली चौताल

सखी फूले बसन्तके फूल बिरह तनु जारे ||
चम्पा फुले गुलाब फुले सुरुजमुखी कचनारे ||

उड़हुल बेलि चमेलि फुलानेहो,
सर कमल फुले रतनारे ||१ ||

जुही मालती कंदइल दाड़िम गोंदा फुले हजारे ||
लाल अनार कुसुमकलियनहो सखी सिरीस फुले अतिबारे ||२ ||

बाग पियाबिन फूल फुलाने मारत जान हमारे ||

जो पीया होत हमारे संगमेंहो,
सखि करत बिथा सब न्यारे ||३ ||

कोइल सब्द करत बगियामें सुनि सुनि फटत दरारे ||

लालबिहारी कहत समुझाइ हो,
गोरी तुमरो बलम अतिबारे ||४ ||

2. होली चौताल

पपीहा बन बैन सुनावे निंद नहीं आवे ||
आधीरात भई जब सखिया कामबिरह सन्तावे ||

पियबिन चैन मनहि नहिं आवत,
सखि जोबन जोर जनावे ||१ ||

फागुन मस्त महीना सजनी पियबिन मोहिं न भावे ||

पवन झकोरत लुह जनु लागत,
गोरी बैठी तहां पछितावे ||२ ||

सब सखि मिलकर फाग रचतहैं ||ढोल मृदंग बजावे ||

हाथ अबीर कनक पिचकारी हो,
सखि देखत मन दुख पावे ||३ ||

हे बिधना मैं काहबिगाड़ो जनम अकारथ जावे ||

लालबिहारी कहत समुझाइ हो,
गोरी धीरजमें सुख पावे ||४ ||

3. होली चौताल

सखि उठिकर करहु सिंगार बसन्त जाये ||
बाजुबन्द कंगन भल सोहे अँगुरिन नेपुर भाय ||

पहिरि बिजायठ हार जो सोहत,
सिर बेन्दी मन लाये ||१ ||

करि सिंगार पलंगपर बैठी पिया पिया गोहराय ||

मैं बिरहिनि पिया बात न पूछत,
तब जोबन जोर जनाय ||२ ||

चोलिया मसके बन्द सब टूटे अंग अंग थहराय ||

कामके बिरह सहा नहीं जातहो,
गोरी सोचनमें तन छाय ||३ ||

पियपिय बोल पपिहरा बोलत सुनि सुनि धीर न आये ||

लालबिहारी धीर धरावत,
गोरी धीर धरो मन माय ||४ ||

4. होली चौताल

पीयवा परदेसमें छाये सन्देस न आाये ||
सुन्दर मास फगुनवा सजनी पियबिन मोहिं न भाये ||

पियपिय बोल पपिहरा बोलत,
सुनि कामबिरह तनु छाये ||१ ||

बारे सैयां परदेस निकलगये नहिं कुछ खबर जनाये ||

नाग वो बाण बरस अब गुजरेहो,
मन अधिक उठत घबड़ाये ||२ ||

छाड़ि जनाना घर मरदाना पीयकर खोज कराये ||

धीर धरों जिय धीर न आवत,
तहं योबन जोर जनाये ||३ ||

निसिदिन बैठी पिया दिस देखत अबहुं पिया नहीं आये ||

लालबिहारी बिरह बस कामिनि,
पिय आइके बिरह छोरड़ाये ||४ ||

5. होली चौताल

सखि आये बसंत बहार पिया नहिं आये ||
फागुन मस्त महीना सखिया मोर जिया ललचाये ||

सब नर नारी जो पागुन गावत,
सखि मोकहं सूम बढ़ाये ||१ ||

ताल मृदंग झांझ डफ बाजे सबको मन हरषाये ||

मैं बिरहिनि सेजियापर बिलखति,
मोहिं अजु मदन तनु छाये ||२ ||

भरभरके पिचकारी मारत नात गोत बिलगाये ||

सखि सब घर घर धूम मचावत,
तहां रंग अबिरन छाये ||३ ||

गोरी देत सभीको सबही ना कोइ काहु लजाये ||

लालबिहारी विरहबस बनिताहो,
सोतो बैठे मनहि सुझाये ||४ ||

6. होली चौताल

यह चरन सरोज तिहारे,अमंगल हारे ||
अरे हे दशरथ के सुवन दयानिधि,दीनबन्धु हितकारे ||
कर धनु-सर सिर मुकुट बिराजत,
कलंगी बहुभाँति सँवारे ||अमंगल हारे ||

अरे कमल-नयन मुख-बयन सुधा-सम, केसर तिलक लिलारे ||
कंठा-कंठ माल-मनि सोभित,
श्रुति-कुण्डल की द्युति न्यारे ||अमंगल हारे ||

अरे कल्प बिरिछ तर कनक सिंघासन, तेहि पर आसन डारे ||
बाम भाग सीता सुठि सोभित,
करिके नव-सात सिंगारे ||अमंगल हारे ||

अरे भरत लखन रिपुदमन खडे़ धरि,चँवर छत्र तरवारे ||
द्विज छोटकुन पंखा भल फेरत,
मारुत-सुत प्रान अधारे ||अमंगल हारे ||

7. होली चौताल

नैनन से मोहे गारी दई, पिचकारी दई,
हो होली खेली न जाय, होली खेली न जाय |

काहे लंगर लंगुराई मोसे कीन्ही,
केसर-कीच कपोलन दीनी,
लिए गुलाल खड़ा मुसकाय, मोसे नैन मिलाए,
मोपे नेह लुटाय, होली खेली न जाय ||

जरा न कान करे काहू की,
नजर बचाए भैया बलदाऊ की,
पनघट से घर तक बतराय, मोरे आगे-पीछे आय,
मोरी मटकी बजाय, होली खेली न जाय ||

चुपके से आय कुमकुमा मारे,
अबीर-गुलाल शीश पे डारे,
यह ऊधम मेरे सासरे जाय, मेरी सास रिसाय,
ननदी गरियाय, होली खेली न जाय ||

होली के दिनों में मोसे दूनों-तीनों अटके,
शालिग्राम जाय नहीं हट के,
अंग लिपट मोसे हा-हा खाय, मोरे पइयाँ पर जाय,
झूटी कसमें खाय, होली खेली न जाय ||

8. होली चौताल

हमरे उर ऊपर हाथ धरो जिनि प्यारे ||
काल्हि करार कियो सेजिया पर,
झुलनी बनी सकारे ||
सो विसराय दिहो तुम बालम,
अब नाहक हाथ पसारे ||धरो जिनि प्यारे ||

कंठ हार हुवेल विजायठ भूषन धरो लिलारे ||
यह गहना हमका नहिं भावत,
इत से उठि जाव दुवारे ||धरो जिनि प्यारे ||

यह जोबना हम बड़े जतन से,
पाला प्राण पियारे ||
सो तुम्हें मलत दरद नहिं आवत ,
मोरे कोमल अंग विगारे ||धरो जिनि प्यारे ||

फरक रहो गले वाह न डारो,
न छुओ बदन हमारे ||
द्विज छोटकुन झुलनी बिन बालम ,
मुख चूमे कौन प्रकारे ||धरो जिनि प्यारे ||

9. होली चौताल

धनि-धनि ए सिया रउरी भाग,
राम वर पायो ||
लिखि लिखि चिठिया नारद मुनि भेजे,
विश्वामित्र पिठायो ||
साजि बरात चले राजा दशरथ,
जनकपुरी चलि आयो || राम वर पायो ||

वनविरदा से बांस मंगायो,
आनन माड़ो छवायो ||
कंचन कलस धरतऽ बेदिअन परऽ,
जहाँ मानिक दीप जराए, राम वर पाए ||

भए व्याह देव सब हरषत,
सखि सब मंगल गाए,
राजा दशरथ द्रव्य लुटाए, राम वर पाए ||
धनि -धनि ए सिया रउरी भाग || राम वर पायो ||

10. होली बारहमासा चौताल

शुभ कातिक सिर विचारी, तजो वनवारी ||
जेठ मास तन तप्त अंग भावे नहीं सारी || तजो वनवारी ||
बाढ़े विरह अषाढ़ देत अद्रा झंकारी || तजो वनवारी ||

सावन सेज भयावन लागतऽ,
पिरतम बिनु बुन्द कटारी || तजो वनवारी ||

भादो गगन गंभीर पीर अति हृदय मंझारी,
करि के क्वार करार सौत संग फंसे मुरारी || तजो वनवारी ||

कातिव रास रचे मनमोहन,
द्विज पाव में पायल भारी || तजो वनवारी ||

अगहन अपित अनेक विकल वृषभानु दुलारी,
पूस लगे तन जाड़ देत कुबजा को गारी || तजो वनवारी ||

आवत माघ बसंत जनावत,
झूमर चौतार झमारी || तजो वनवारी ||

फागुन उड़त गुलाब अर्गला कुमकुम जारी,
नहिं भावत बिनु कंत चैत विरहा जल जारी,
दिन छुटकन वैसाख जनावत,
ऐसे काम न करहु विहारी || तजो वनवारी ||

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